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Reestablishing Hindu-Islamic relations हिंदू-इस्लामी संबंध को पुनः स्थापित करना

Reestablishing Hindu-Islamic relations हिंदू-इस्लामी संबंध को पुनः स्थापित करना धर्म में कट्टरता जैसी कोई चीज नहीं होती है। धर्म की दिशा संतुलित होती है और एक सच्चा धार्मिक व्यक्ति कभी कट्टर नहीं होगा। कट्टरता तब आती है जब धर्म के नाम पर कोई दूसरा काम करना होता है, और धर्म को एक आड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। राजनीति भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है। कई बार राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए धर्म का इस्तेमाल करते हैं और लोगों को भड़काते हैं। असम का उदाहरण भी आपकी बात को सही साबित करता है। असम में अवैध रूप से रहने वाले लोगों का मुद्दा एक गंभीर मुद्दा था, लेकिन इसे राजनीतिक रंग दिया गया और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा किया गया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि धर्म का इस्तेमाल इस तरह से किया जाता है। हमें धर्म के नाम पर होने वाली कट्टरता और हिंसा के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। हमें यह समझना होगा कि सभी धर्मों का मूल संदेश एक ही है – प्यार, भाईचारा और शांति। हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए और एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए।

Credit :रेड्डीज/शटरस्टॉक

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जिनसे हम धर्म के नाम पर होने वाली कट्टरता को कम कर सकते हैं:

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