Mysterious incidents for which even scientists could not find the answer: रहस्यमयी घटनाएँ ,जिनका जवाब वैज्ञानिक भी नही ढूढ़ पाए
द डांसिंग प्लेग
1518 में गर्मी के दिनों में शहर स्ट्रासबर्ग में एक महिला ने सड़क पर भयानक तरीके से नाचना शुरू कर दिया था. दिन से रात हो जाती और रात से दिन पर उसका नाचना बंद नहीं होता. एक सप्ताह के भीतर ही 34 अन्य महिलाओं ने भी उसके साथ नाचना शुरू कर दिया |उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे कि उनके अंदर किसी आत्मा का वास हो गया हो. उन्हें देखकर ऐसा लगता था जैसे कि उनके अंदर किसी आत्मा का वास हो गया हो. यहां तक कि कई महिलाओं की नाचते-नाचते मौत हो गईं |इस घटना के पीछे कई थ्योरी दी गई. जहर, एपिलेप्सी, सामूहिक मानसिक बीमारी कई वजहें बताई गईं और कई तरीके आजमाए गए लेकिन इस ऐतिहासिक घटना का आज तक संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका |
द एस एस ओरंग मेडान
जून 1947 में मलक्का की खाड़ी में व्यापारिक मार्ग से कई जहाज गुजर रहे थे. तभी एक एसओेएस संदेश पहुंचा, ‘जहाज के सभी क्रू सदस्यों की मौत हो गई है.नजदीक के जहाज सिग्नल का सोर्स पहचानते हुए उसकी तरफ बढ़े. सबसे नजदीक की मर्चेन्ट शिप ‘द सिल्वल स्टार’ सिग्नल की तरफ तेजी से पहुंची. ओरंग मेडान पर आते ही वे हैरान रह गए. क्रू के हर सदस्य की मौत हो चुकी थी. जहाज पर शव इधर-उधर बिखरे पड़े थे. कई लोगों की आंखें अब तक खुली हुई थीं और उनके चेहरे पर डर दिख रहा था. जहाज पर सवार कुत्ते की भी मौत हो गई थी. बॉयलर रूम में शवों के नजदीक जाने पर क्रू सदस्यों को बहुत ठंड लगने लगी जबकि तापमान 110 डिग्री फॉरेनहाइट था. किसी भी शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं थे| कुछ लोगों ने इस दुर्घटना के पीछे प्राकृतिक गैसों के बादल बनने का हवाला दिया. अधिकतर लोग इसके पीछे सुपरनैचुरल पावर को जिम्मेदार ठहराते हैं.
वोयनिच पांडुलिपि लगभग 250 पन्नों की एक किताब है जो पूरी तरह से अज्ञात भाषा/लेखन प्रणाली में लिखी गई है। इसकी कार्बन-डेटिंग 1400 के दशक की है और इसमें ऐसे पौधों के चित्र शामिल हैं जो किसी भी ज्ञात प्रजाति से मिलते-जुलते नहीं हैं। इसका नाम पोलिश पुस्तक विक्रेता के नाम पर रखा गया है जिसने इसे 1912 में खरीदा था।ऐसा माना जाता है कि इसे एक चिकित्सा पाठ के रूप में लिखा गया था। इस पांडुलिपि की उत्पत्ति की जांच करने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि वोयनिच ने पांडुलिपि और इसके इतिहास को खुद ही गढ़ा था। वर्तमान समय में भी वोयनिच पांडुलिपि आज भी उतनी ही अभेद्य और अकल्पनीय बनी हुई है।
डेजा वू
डेजा वू को हमनें अपने जीवन में कई बार अनुभव किया है।डेजा वू से अभिप्राय उस अनुभव से है, जिसके आने पर हमें ऐसा लगता है कि ये पहले भी हमारे साथ हो चुका है। अक्सर किसी नई जगह, व्यक्ति, फिल्म आदि को देखने पर कभी-कभी ऐसा लगता है कि हम उन्हें पहले भी देख या महसूस कर चुके हैं। वैज्ञानिकों ने डेजा वू को लेकर कई थ्योरीज दी हैं। हालांकि इसके राज से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है। वहीं कई आध्यात्मिक मन्याताएं ये कहती हैं कि डेजा वू हमारे पूर्व जन्म की यादें होती हैं, जो अपने आप को दोबारा दोहराती हैं।
मीर उस्मान अली का खजाना
हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान का खजाना न केवल भारतीयों के लिए बल्कि विदेशों में भी चर्चित रहा है।1937 में टाइम मैगज़ीन ने हैदराबाद के इस निजाम को दुनिया का सबसे अमीर आदमी बताया था। इनको गहनों और खजाने का संग्रह करने का शौक था। इस खजाने मे 167 टन सोना था और हीरे जवाहरात थे।
लेकिन रहस्य की बात रह है कि इनके मरने के बाद आजतक इनके खजाने को कोई ढूँढ नहीं पाया है। इनके वंशजों के अलावा सरकार ने भी काफी तलाश किया लेकिन खजाना जैसे विलुप्त हो गया है।