India will compete with China in the AI ​​race!AI की दौड़ में से चीन मुकाबला करेगा भारत! मोदी सरकार ने लॉन्च किया क्रिटिकल मिनरल मिशन

रिकॉर्ड Funding और सरकार के सपोर्ट के चलते भारतीय AI Startup ने इनोवेशन को दिया बढ़ावानई दिल्ली: चीन की स्टार्टअप कंपनियां कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI) की दुनिया में धमाल मचा रही हैं। डीपसीक आई के आगमन से दुनिया में तहलका मच गया। इस बीच भारत ने भी कमर कस ली है। भारत ने ‘नैशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन’ शुरू किया है। इस मिशन के तहत अगले छह सालों में 34,300 करोड़ रुपये (लगभग 4 अरब डॉलर) खर्च किए जाएंगे। इससे जरूरी प्राकृतिक संसाधनों की सप्लाई सुनिश्चित होगी। ये संसाधन सेमीकंडक्टर और अत्याधुनिक तकनीक के लिए बेहद जरूरी हैं।

विश्वस्तरीय ढांचा तैयार करने पर जोर

यह मिशन क्रिटिकल मिनरल्स की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करेगा जो दुनियाभर में मुकाबला कर सके। इसके लिए तेजी से खनन किया जाएगा ताकि देश में उत्पादन बढ़े। 2030-31 तक विदेशों में 50 खदानें खरीदी जाएंगी। प्रोसेसिंग और रीसाइक्लिंग के लिए सुविधाएं बनाई जाएंगी। यह जानकारी सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की मंजूरी के बाद दी।

सेमीकंडक्टर और हाईटेक चीजें बनाने के लिए जरूरी

क्रिटिकल मिनरल्स और दुर्लभ पृथ्व तत्व (REE) सेमीकंडक्टर बनाने और हाईटेक चीजें बनाने के लिए बहुत जरूरी होते हैं। चीन के पास इन संसाधनों का 70-80% कंट्रोल है, जिससे उसे फायदा मिलता है। लिथियम, नियोबियम और आरईई बहुत महत्वपूर्ण हैं। इनका इस्तेमाल मोबाइल, इलेक्ट्रिक गाड़ियों, मेडिकल उपकरणों, रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक में होता है।

भारत का अपना AI Sarvam AI जैसे मॉडल सफल साबित हो रहे हैं खासकर भारतीय भाषाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए AI सिस्टम्स के लिए, लेकिन फिलहाल AI की दौड़ में भारत पीछे नजर आता है, भारत को जरूरत है कि वह R&D और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश को बढ़ाए.चीन अब तक दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता था लेकिन अब इसे AI के मामले में भी बड़ी उपलब्धि मिल गई है. चीन के Deepseek ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है, इसका मॉडल तो शानदार है ही लेकिन साथ ही ये अमेरिकन AI से बेहद सस्ता है. डीपसीक के जरिए चीन ने बता दिया है कि केवल अमेरिका ही नहीं इनोवेशन के मामले में दूसरे देश भी आगे हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि भारत इस रेस में कहां खड़ा है?

AI के मामले में पिछले एक साल में भारत में दो तरह के विचार देखने को मिले हैं. एक, जो पूरी तरह से देसी LLMs (AI मॉडल) बनाना चाहते हैं, यानी शुरुआत से ही भारत के लिए बनाए गए AI मॉडल्स. दूसरा, जो SLMs मॉडल विकसित करना चाहते हैं.

दोनों में फर्क ये है कि LLM यानी लार्ज लैंग्वेज मॉडल और SLM यानी स्मॉल लैंग्वेज मॉडल. LLMs को बनाने के लिए ज्यादा रिसोर्स और कंप्यूटेशनल पावर खर्च करनी पड़ती है जबकि SLMs में कम संसाधन लगते हैं और ये बेहद ही सस्ता होता है.

भारत का AI स्टार्टअप और डीपसीकAI, Artificial Intelligence

भारत का AI स्टार्टअप Sarvam AI ने अपने AI को 2 अरब पैरामीटर के साथ ट्रेन किया, इस AI का फोकस मुख्य रूप से भारतीय भाषाओं पर ही है. वहीं, डीपसीक के R1 को 671 अरब पैरामीटर, यानी ज्यादा बड़े डेटा के साथ विकसित किया गया है, जो किसी खास इस्तेमाल नहीं बल्कि सामान्य या हर चीज के लिए डिजाइन किया गया है.

TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत फिलहाल AI और चिप निर्माण के क्षेत्र में पीछे है और इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए ज्यादा निवेश रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर पर करने की जरूरत है.

Sarvam AI: भारत का उभरता हुआ जनरेटिव AI स्टार्टअप

Sarvam AI ने हाल ही में एक नया भाषा मॉडल लॉन्च किया है, जिसे खासतौर पर भारतीय भाषाओं के लिए ट्रेन किया गया है. इस मॉडल का नाम Sarvam-1 है और यह 10 भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता है, जैसे हिंदी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और अंग्रेजी.

बेंगलुरु की कंपनी Sarvam AI ने साल 2024 के अगस्त में अपना पहला फाउंडेशनल AI मॉडल Sarvam 2B लॉन्च किया था. लेकिन कंपनी का कहना है कि Sarvam-1 खास इसलिए है क्योंकि यह दिखाता है कि अगर ट्रेनिंग डेटा को सावधानी से क्यूरेट किया जाए, तो कम पैरामीटर वाले मॉडल भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं.

किसने बनाया Sarvam-1?

Sarvam के पीछे दो शख्सियत हैं, इसके को-फाउंडर डॉ विवेक राघवन जो एक एंटरप्रेन्योर, टेक्नोलॉजिस्ट और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माता हैं. इन्होंने Sarvam AI इसलिए बनाया क्योंकि इनका मानना है कि जनरेटिव AI भारत के हर नागरिक के जीवन को प्रभावित कर सकता है.

कितना पावरफुल है Sarvam-1?

Sarvam-1 को 2 अरब पैरामीटर के साथ विकसित किया गया है. पैरामीटर की संख्या आमतौर पर यह बताती है कि AI मॉडल कितना जटिल है और वह इनपुट को आउटपुट में बदलने की कितनी ज्यादा क्षमता रखता है.

जैसे Microsoft का Phi-3 Mini मॉडल 3.8 अरब पैरामीटर का है. Sarvam-1 और Phi-3 Mini जैसे मॉडल SLMs की कैटेगरी में आते हैं, जिनके पैरामीटर 10 अरब से कम होते हैं. जबकि GPT-4 जैसे बड़े मॉडल LLMs के पैरामीटर 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा होते हैं.

Sarvam AI ने अपने नए मॉडल को 1,024 GPUs पर NVIDIA के NeMo फ्रेमवर्क के साथ ट्रेन किया है, जिसके लिए Yotta नाम का डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने सपोर्ट दिया.

Sarvam-1 का दावा है कि Sarvam-1 ने Meta के Llama-3 और Google के Gemma-2 जैसे बड़े मॉडल्स को भी मात दी है.

क्या Sarvam-1 भारत का Deepseek बन सकता है?

 

 

 

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