Cheque Bounce 2025 में कानूनी सहायता (Legal Help in Cheque Bounce Case)चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक आपराधिक अपराध है। इसके अलावा, कुछ मामलों में यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत भी दर्ज किया जा सकता है।
चेक बाउंस होने पर कानूनी प्रक्रिया:
1. कानूनी नोटिस भेजना (Legal Notice For Cheque Bounce 2025 )
- अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो सबसे पहले आपको डिफॉल्टर (जिसने चेक जारी किया) को एक कानूनी नोटिस भेजना होता है।
- यह नोटिस चेक बाउंस होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर भेजा जाना चाहिए।
- नोटिस में चेक बाउंस की वजह, भुगतान की मांग, और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी होनी चाहिए।
- डिफॉल्टर को भुगतान करने के लिए 15 दिनों का समय दिया जाता है।
2. कोर्ट में केस दर्ज करना (Filing a Case in Court)
- अगर 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता, तो आप मजिस्ट्रेट कोर्ट (Metropolitan Magistrate / Judicial Magistrate) में केस दर्ज कर सकते हैं।
- केस दर्ज करने की समय सीमा चेक बाउंस की तारीख से 45 दिन के अंदर होती है।
- कोर्ट में केस दर्ज करने के लिए आपको यह दस्तावेज़ देने होंगे:
✅ चेक की कॉपी
✅ बैंक से चेक बाउंस का मेमो
✅ कानूनी नोटिस की कॉपी और उसकी डिलीवरी प्रूफ
✅ बैंक स्टेटमेंट
3. सजा और जुर्माना (Punishment & Penalty)
- दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की जेल या चेक राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- कोर्ट डिफॉल्टर को तुरंत भुगतान करने का आदेश भी दे सकता है।
- यदि डिफॉल्टर फिर भी भुगतान नहीं करता, तो उसकी संपत्ति जब्त हो सकती है, बैंक अकाउंट सील किया जा सकता है, और उसे गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है।
Cheque Bounce 2025 मामले में बचाव के उपाय (Defenses in Cheque Bounce Case)
यदि आपके खिलाफ चेक बाउंस का मामला दर्ज हुआ है, तो आप निम्नलिखित बचाव कर सकते हैं:
✅ खराब मानसिक स्थिति या गलती साबित करना – अगर चेक गलती से बाउंस हुआ हो तो सही सबूत देकर मामला हल किया जा सकता है।
✅ चेक का गलत इस्तेमाल साबित करना – अगर चेक किसी दबाव में साइन कराया गया हो या गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ हो, तो इसका बचाव किया जा सकता है।
✅ खाते में पर्याप्त बैलेंस था – अगर बैंक की गलती से चेक बाउंस हुआ, तो इस आधार पर बचाव किया जा सकता है।
Cheque Bounce 2025 के नियम और CIBIL स्कोर बचाने के तरीके
1. चेक बाउंस के नियम (Cheque Bounce Rules)
चेक बाउंस होना एक गंभीर मामला है, और यह नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत एक अपराध माना जाता है। चेक बाउंस होने के मुख्य कारण हो सकते हैं:
- खाते में अपर्याप्त धनराशि (Insufficient Funds)
- गलत हस्ताक्षर (Signature Mismatch)
- बैंक द्वारा चेक रोकना (Stop Payment by Drawer)
- ओवरड्राफ्ट सीमा पार होना
- गलत तारीख या अनियमितताओं के कारण
चेक बाउंस पर कानूनी कार्यवाही
- डिफॉल्टर को नोटिस भेजना – यदि चेक बाउंस होता है, तो 30 दिनों के भीतर चेक प्राप्तकर्ता को डिफॉल्टर को कानूनी नोटिस भेजना होता है।
- 15 दिनों का उत्तर देने का समय – डिफॉल्टर को भुगतान करने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है।
- मामला दर्ज किया जा सकता है – यदि 15 दिन के भीतर भुगतान नहीं किया जाता, तो मामला कोर्ट में दर्ज किया जा सकता है।
- सजा – दोषी पाए जाने पर 2 साल तक की जेल या दोगुनी राशि का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
2. CIBIL स्कोर को कैसे बचाएं?
CIBIL स्कोर एक क्रेडिट स्कोर होता है जो बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस यह तय करने के लिए देखते हैं कि आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए योग्य हैं या नहीं।
CIBIL स्कोर बनाए रखने के तरीके
✅ समय पर भुगतान करें – क्रेडिट कार्ड बिल, EMI और चेक पेमेंट हमेशा समय पर करें।
✅ ओवरड्राफ्ट से बचें – अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस रखें ताकि चेक बाउंस न हो।
✅ क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन कम रखें – अपने क्रेडिट लिमिट का 30% से अधिक उपयोग न करें।
✅ एक से अधिक चेक बाउंस से बचें – बार-बार चेक बाउंस होने से बैंक आपको “हाई रिस्क” कैटेगरी में डाल सकता है।
✅ क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें – समय-समय पर अपनी CIBIL रिपोर्ट चेक करें और किसी भी गलती को ठीक करवाएं।