Major changes in income tax laws : 2025 में भारत में आयकर से जुड़े कानूनों में कई महत्वपूर्ण बदलावों की योजना है, जिन्हें लेकर सरकार और विशेषज्ञों की उम्मीदें हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे करदाताओं के लिए इसका पालन करना आसान हो।
1. आयकर अधिनियम 1961 का प्रतिस्थापन
भारत सरकार ने 12 फरवरी 2025 को आयकर विधेयक पेश किया, जो मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 को प्रतिस्थापित करेगा। यह कदम 60 से अधिक वर्षों से चले आ रहे पुराने कानूनों में सुधार की दिशा में उठाया गया है।
2. टैक्स ईयर और असेसमेंट ईयर की अवधारणाओं में बदलाव
अब तक, आयकर की गणना ‘असेसमेंट ईयर’ के आधार पर की जाती थी, जिसमें पिछला वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) आधार बनता था, और उस पर अगले साल कर निर्धारण (असेसमेंट) होता था। नए विधेयक में ‘टैक्स ईयर’ का कांसेप्ट होगा, जिसके अनुसार कर का निर्धारण उसी वर्ष के आधार पर किया जाएगा, जिससे करदाता को अपनी आय और कर से जुड़ी जानकारी में आसानी होगी।टैक्स ईयर और असेसमेंट ईयर की अवधारणाओं में बदलाव भारतीय आयकर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिसे 2025 में प्रस्तावित किया गया है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य करदाताओं के लिए कर प्रणाली को और सरल और पारदर्शी बनाना है।
3. करदाताओं के लिए सरलीकरण
नए विधेयक में 536 धाराएं और 23 अध्याय शामिल हैं, जो पुराने आयकर अधिनियम की तुलना में बहुत संक्षिप्त और सरल हैं। पुराने अधिनियम में 823 पन्ने थे, जबकि नए विधेयक का आकार 622 पन्नों का है। यह करदाताओं के लिए आयकर नियमों को समझने और पालन करने में सहूलियत देगा।करदाताओं के लिए सरलीकरण का उद्देश्य भारतीय आयकर प्रणाली को ज्यादा सरल, पारदर्शी, और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाना है। इस दिशा में 2025 में प्रस्तावित आयकर विधेयक में कई बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों से करदाताओं के लिए कर अनुपालन (compliance) की प्रक्रिया को बहुत सरल और समझने में आसान बनाने की कोशिश की गई है।
4. कर स्लैब और कटौतियों में कोई बदलाव नहीं
2025 के आयकर विधेयक में आयकर के स्लैब और कटौतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, करदाता अभी भी अपनी कर योजना के हिसाब से विभिन्न छूट और कटौतियों का लाभ उठा सकेंगे, जैसे कि 80C, 80D आदि। इस स्थिरता से करदाताओं को अपनी योजनाओं को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद मिलेगी।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में आयकर स्लैब और कटौतियों में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। नई कर व्यवस्था के तहत, 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर अब कोई कर नहीं लगेगा। इससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी, जिससे उनकी खपत क्षमता बढ़ेगी।
5. नई रेजिडेंसी नियमों की कोई घोषणा नहीं
विधेयक में रेजिडेंसी के नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। इससे करदाताओं को अपनी स्थायी निवास स्थिति (रेजिडेंसी) को लेकर कोई दुविधा नहीं होगी, और वे बिना किसी भ्रम के अपने कर मामलों का सही आकलन कर सकेंगे।
हाल ही में प्रस्तुत किए गए नए आयकर बिल में रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौजूदा कानून के तहत, रेजिडेंसी को तीन श्रेणियों में बांटा गया है: ऑर्डिनरी, नॉन-ऑर्डिनरी और एनआरआई। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेजिडेंसी कानूनों में बदलाव की जरूरत है, क्योंकि वर्तमान में टैक्सपेयर्स को पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड देखना पड़ता है ताकि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में उनकी रेजिडेंसी का पता चल सके| इसलिए, वर्तमान में रेजिडेंसी नियमों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
6. टीडीएस और अन्य कर अनुपालन में बदलाव
नए आयकर विधेयक में टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) जैसे अनुपालन को भी सरल बनाने की कोशिश की गई है। अब करदाताओं को अपना कर सही तरीके से जमा करने में आसानी होगी, और अनुपालन की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के प्रयास किए जाएंगे।हाल ही में प्रस्तुत किए गए नए आयकर विधेयक 2025 में टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) और टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य कर अनुपालन को सरल और पारदर्शी बनाना है।
7. सरकार की उम्मीदें और एक्सपर्ट की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक से कर प्रणाली में सुधार आएगा, जो व्यापारियों, निवेशकों और आम नागरिकों के लिए लाभकारी होगा। संदीप झुनझुनवाला जैसे कर विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम आयकर प्रणाली को और अधिक स्पष्ट और करदाताओं के लिए सुलभ बनाएगा। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को करदाताओं के लिए और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए स्लैब में बदलाव पर विचार करना चाहिए, ताकि करदाताओं को बढ़ावा मिले।
8. अगला कदम: संसद की मंजूरी
यह आयकर विधेयक संसद की स्थायी समिति में भेजा जाएगा, जहां इसे विस्तार से चर्चा के बाद मंजूरी दी जाएगी। उम्मीद है कि यह 1 अप्रैल 2026 से लागू हो सकता है।
9. प्रमुख बदलावों की उम्मीदें
- आसान कर प्रणाली: सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और आसान बनाना है, जिससे करदाता और व्यापारियों को कम समस्याएं हों और अधिक अनुपालन हो।
- स्वतंत्र कर आकलन: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्वचालित टैक्स आकलन (ऑटोमेटेड टैक्स असेसमेंट) पर विचार करना चाहिए, जिससे करदाता का बोझ कम हो सके।
10. समाप्ति
इस नए विधेयक से सरकार की उम्मीद है कि यह भारत में कर अनुपालन को बढ़ावा देगा, करदाताओं को सही दिशा में मार्गदर्शन करेगा, और साथ ही आयकर प्रणाली में पारदर्शिता और स्थिरता लाएगा।http://www.timesnowhindi.com